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Insurance कैसे काम करता है, इसके क्या कार्य हैं।

Insurance Kaise Kaam Karta Hai
Insurance Kaise Kaam Karta Hai

बीमा की परिभाषा (Definition of Insurance):-

Insurance भविष्य में किसी अकस्मात घटनाओं के कारण हुए नुकशान या क्षति के प्रभाव को कम करने का एक तंत्र (system) है। यह बीमा कंपनी और बीमा करने वाले व्यक्ति के बीच एक कॉन्ट्रैक्ट के जरिये लागू होता है। Insurance में बीमित व्यक्ति को एक निश्चित समय अवधि के लिए एक निश्चित धनराशी जमा करनी होती है इस निश्चित धनराशी को प्रीमियम कहते है।

बीमा के प्रकार- 

भारत में बीमा व्यवसाय को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है:-
(1) जीवन बीमा,
(2) साधारण बीमा या गैर-जीवन बीमा। 

कुछ महत्वपूर्ण शब्दार्थ:-

अमूर्त-  छुआ या समझ पाने में असमर्थ और जिसकी कोई शारीरिक उपस्थिति नहीं होती है।

जोखिम–  यहाँ जोखिम का अर्थ यह है कि, नुकशान या क्षति की सम्भावना है नुकशान हो भी सकता है और नहीं भी। 

उदाहरण- भूकंप आ सकता है लकिन यह भी हो सकता है कि बीमित व्यक्ति के घर को कोई नुकशान न हो।

बीमा कैसे कार्य करता है (How insurance works):-

आम जोखिम का सामना कर रहे लोग एक साथ आते हैं और एक सामान्य निधि में अपना छोटा योगदान करते है। प्रत्येक व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले योगदान का निधरिण इस धारणा पर किया जाता है कि, यह पहले से बताना संभव नहीं है कि कौन व्यक्ति क्षतिग्रस्त होंगे, जबकि पिछले अनुभवों के आधार पर यह बताना संभव है कि,  औसतन कितने व्यक्तियों को क्षति हो सकती है।

मानव संपत्ति (Human Assets):-

मानव एक आय का सृजन करने वाली संपत्ति है। एक व्यक्ति की आय का सृजन करने की क्षमता उसके कौशल पर निर्भर करती है। अकस्मात (casually) शीघ्र मृत्यु या बीमारी तथा दुर्घटनाओं की वजह से विकलांगता के कारण से संपत्तियों की हानी हो सकती है। दुर्घटनाएं हो सकती है परन्तु यह भी हो सकता है किसी की मृत्यु न हो।  मृत्यु होगी, लेकिन समय अनिश्चित है। यदि मृत्यु किसी की सेवानिवृत्ति के समय के आसपास होती है, तब यह पता होता है कि सामान्य रूप से आय रूक जाएगी।  संबंधित व्यक्ति अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ अन्य व्यवस्था कर सकता है। यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु बहुत जल्दी हो जाती है और कोई वैकल्पिक व्यवस्था ना हो, तब व्यक्ति और व्यक्ति पर आश्रितों को हानि हो सकती है। आय पर निर्भर लोगों की कठिनाइयों को बीमा के माध्यम से दूर किया जाता है। इसलिए उस संपत्ति के जीवन बीमा की आवश्यकता होती है। 

एक व्यक्ति जिसने सेवानिवृत्ति के बाद अपनी जरूरतों के लिए प्रबंध किये हैं, को भी बीमा की आवश्यकता होगी। यह इसलिए है क्योंकि व्यवस्था कुछ अपेक्षाओं के आधार पर की गयी होगी जैसे अगले 15 सालों के लिए जीवित रहने की संभावना है, या बच्चे बृद्ध माता-पिता की देख-भाल करने में सक्षम होंगे।

यदि इन अपेक्षाओं में से कोई भी सत्य नहीं होती, तो मूल व्यवस्था अपर्याप्त हो जाएगी ओंर कठिनाइयां हो सकती हैँ। बहुत लंबे समय तक जीवित रहना उतनी ही समस्या होती है जितना बहुत युवा अवस्था में मृत्यु होती है। दोनों ही जोखिम हैं जिनके विरूद्ध संरक्षण की आवश्यकता है। बीमा इसका ख्याल रखता है। 

इस प्रकार, एक व्यक्ति के संबंध में जोखिम निम्न रूप से जुडे होते हैं-
  • › शीघ्र मृत्यु 
  • विकलांगता
  • बीमारी
  •  बेरोजगारी
  • दीर्घ आयु तक जीवित रहना

अमूर्त का बीमा (Intangibles insurance):-

बीमा की अवधारणा मूर्त संपत्ति की कवरेज से आगे बढा दी गयी है। निर्यातक, घाटे का जोखिम चलाते हैं, यदि अन्य देश में आयातक भुगतान या वस्तुओं का संग्रह करने में चूक कस्ते हैं। वह अन्य देश में मुद्रा विनिमय दरों में आकस्मिक आए परिवर्तनों, आर्थिक नीतियों या राजनीतिक गडबडी की वजह से भी बहुत अधिक प्रभावित होंगे। यह गतिशील जोखिम हैं और बीमित हैं। डॉक्टर और अन्य पेशेवर लापरवाही का आरोप लगाए जाने और नुकसान के लिए बाद के दायित्व के जोखिम को चलाते हैं। इस संबंध में राशि की बहुत अधिक मात्रा हो सकती है जो व्यक्तियों की वहन करने की क्षमता से परे हो सकती है। यह बीमित हैं। इस प्रकार, बीमा अमूर्त क लिए भो होता है। कुछ देशों में, एक गायक की  आवाज या एक नर्त्तकी के पैरों का  बीमा किया जा सकता है। यह आय का अर्जन और मालिकों को जीविका प्रदान करने बाली संपत्ति है। बीमित वस्तु अमूर्त है, लेकिन यह एक वित्तीय हानि से जुडी हुई है, और इसलिए बीमा योग्य हो जाती है। भारतीय गैर जीवन बीमा कंपनियां शायद, इस तरह के जोखिम का बीमा करने के लिए व्यवहार्यता पर विचार, कर रही हैँ।

भारत में बीमा व्यवसाय (Insurance Business in India):-

भारत में बीमा व्यवसाय को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है:- 

(1) जीवन बीमा,
(2) गैर-जीवन बीमा या साधारण बीमा। 

जीवन बीमा मानव की जीवन संभाव्यता से सम्बंधित जोखिम को cover करता है तथा शेष जोखिमो को साधारण बीमा कवर करता है। साधारण बीमा को पुन: 3 भागों में वर्गीकृत किया गया है।

1. अग्नि बीमा: आग से सम्बंधित समी जोखिम को कवर करता है।

2. समुद्री बीमा: वस्तुओं के अंतर्देशीय व अंतर्राषट्रीय परिवहन से सम्बंधित सभी जोखिमों को कवर करता है।

3. विविध: जैसे फसल बीमा, स्वास्थय बीमा. व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा, मोटर वाहन बीमा, विमानन बीमा. अभियांत्रिकी बीमा आदि आते हैं।

भारत में व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा और स्वास्थय बीमा को साधारण बीमा की श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है जबकि अन्य देशों में इसे जीवन बीमा की श्रेणी में रखा जाया है। इन्हें विदेशों में 'संपत्ति एवं दुर्घटना' के तौर पर निरूपित किया गया है।

पुनर्बीमा (Reinsurance):-

बीमाकर्ता व तृतीय पक्ष (पुनर्बीमा कर्ता) के मध्य एक अनुबंध है जिसके अंतर्गत तृतीय पक्ष (पुनर्बीमा कर्ता) बीमा कपनी को अपने प्रथमिक बीमा अनुबंध की क्रियान्वन में हुई हानि कि प्रतिपूर्ति करने के लिए सहमत होता है।

कई विदेशी कम्पनियाँ भारत में पुनर्बीमा व्यवसाय में 'अत्यधिक संभावनाएं देख रही है. इसमें स्विस आरइ, म्यूनिख आरइ और बर्कशायर हैथवे प्रमुख हैं। जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन आँफ़ इंडिया भारत का एकमात्र पुनर्बीमा कर्ता है।

बैंकाश्योरेंस-

इसके अंतर्गत बैंक बीमा कंपनियों के एजेंट के तौर पर अपनी शाखाओं के माध्यम से बीमा उत्पादों का वितरण व विक्रय करते है और बदले में कमीशन लेते हैं। अधिक मात्रा में व्यापार करने के कारण बीमा कम्पनियाँ अपने कर्मचारी को इनकी सहायता के लिए शाखा से सम्बद्ध कर देती हैं।


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