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मानव ह्रदय (Human heart) के बारे में जानकारी_वजन_कक्षों की संख्या।

human heart weight chamber
Human Heart Weight Chamber

ह्रदय  एक पेशीय संरचना हैं।  यह एक पम्प की तरह कार्य करता है।  इसके ऊपरी गहरे रंग के दो कक्षों अलिंदों (Atrium) में शरीर के विभिन्न भागो से रुधिर आता है और हल्के रंग के अतिपेशीय दोनो निचले कक्ष  निलय (Ventricle) शरीर के विभिन्न भागो को रुधिर (blood) पम्प करते हैं। क्योकि रुधिर  ऑक्सीजन (O2) और कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) दोनों का संवहन करता है अतः प्रचुर शुद्ध रुधिर को कार्बन डाइ आक्साइड प्रचुर अशुद्ध रुधिर से अलग करने के लिए दाहिने व बायें अलिन्द व दाहिने व बायें निलय एक एक सेप्टम द्वारा अलग करते हैं इस प्रकार ह्रदय के दाहिने कक्षों में अशुद्ध रुधिर व बायें कक्षों में शुद्ध या ऑक्सीकृत रुधिर प्रभाहित होता है। 


मानव ह्रदय एक मिनट  में 
औसतन 72  बार धड़कता है।  मनुष्य का दिल 1 मिनट मे 70 मिली लीटर रक्त पम्प करता है। इसका भार औसतन महिलाओं में 250 से 300 ग्राम और पुरुषों में 300 से 350 ग्राम होता है। मानव ह्रदय 1 दिन मे 7600 लीटर (2000 gallons) तथा अपने जीवन काल मे 200 मिलियन लीटर रक्त पम्प करता है। 

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Structure of Human Heart

मानव भ्रूणीय ह्रदय गर्भाधान के लगभग 23 दिन के बाद धडकना शुरू करता है।  इसी दिनांक को गर्भावस्था के दिनों की गणना के लिए काम में लिया जाता है। अभी तक यह अज्ञात है कि मानव भ्रूण में पहले 23 दिनों तक एक क्रियात्मक ह्रदय की अनुपस्थिति में रक्त का प्रवाह कैसे होता है।
शरीर के विभिन्न अंगों जैसे वक्ष, सिर, तथा बाँहों  से अशुद्ध रक्त शिराओं द्वारा एक जोडी अग्र महाशिरांओँ में पहुँचता है । अग्र महाशिराएँ दाएँ अलिन्द में खुलती हैं। मनुष्य की टाँगों, आहारनाल, जनन ग्रन्थियों, वृक्क आदि से अशुद्ध रक्त शिराओं द्वारा पश्च महाशिरा में लाया जाता है जो दाएँ अलिन्द में खुलती है अर्थात् पूरे शरीर का अशुद्ध रक्त तीन महाशिराओ द्वारा दाएँ अलिंद (Right Atrium) में लाया जाता है । जब दायाँ अलिन्द (Right Atrium) सिकुड़ता है तो महाशिरांओँ का वाल्व (Valve ) बन्द हो जाता हैं और अलिन्द-निलय छिद्र खुल जाता है । अत: अशुद्ध रक्त दाएँ अलिन्द से दाएँ निलय मे' पहुँचता हैं। निलय में संकुचन होने के कारण अलिन्द-निलय (Artrium-Ventricle) छिद्र बन्द हो जाता है जिसके फलस्वरूप अशुद्ध रुधिर फुफ्फुस धमनियो (Palmonary Artery) से होता हुआ फेफडों में पहुँचता है जहाँ रक्त शुद्ध होता है। फेफडों से शुद्ध रक्त बाएं अलिन्द (Left Atrium) में आता है । बाएं अलिन्द (Left Atrium) से यह बाएँ निलय में आता है, जहाँ से यह दैहिक महाधमनी द्वारा शरीर के सभी भागों में पहुंच जाता है।

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