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जिलाधीश के कार्य क्या हैं? Jiladhish ke karya.

Jiladhish ke karya
Jiladhish ke karya kya hai.

जिलाधीश, जिसको सामान्यता जिला मजिस्ट्रेट या District Magistrate (D.M.) नाम से भी जाना जाता है। जिलाधीश एक भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी होता है जो भारत में जिला स्तर पर कार्यकारी मजिस्ट्रेट और एक जिले के सामान्य प्रशासन के प्रभारी का प्रमुख होता है क्योंकि जिलाधीश के पास जिले के भू-राजस्व के संग्रह भी जिम्मेदार होती है इसलिए जिलाधीश के पद को राजस्व विभाग के संदर्भ में जिला कलेक्टर (Districy Collector) के रूप में भी परिभाषित किया जाता है। जिलाधीश जिले के लिए राजस्व विभाग का प्रभारी होता है। इसके अलावा पदाधिकारी Divisional Commissioner की देखरेख में काम करता है इसलिए इस पद को डिप्टी कमिश्नर (Deputy Commissioner) के रूप में भी जाना जाता है। राजस्व विभाग में डिप्टी कलेक्टर जिसको Deputy District Collector के नाम से भी जाना जाता है, आमतौर पर एक तहसीलदार होता है जो District Revenue Officer (DRO) में रिपोर्ट करता है।

जिलाधीश पद का इतिहास-

भारत में जिला प्रशासन ब्रिटिश राज के समय से प्रकाश में है। यह ब्रिटिश राज की विरासत है। ब्रिटिश राज के दौरान एक कलेक्टर के कार्यालय को कई जिम्मेदारियां उठानी पड़ती थी जैसे कलेक्टर के रूप में राजस्व संगठन के प्रमुख के रूप में और इसके अतिरिक्त पंजीकरण, विवादों का निपटारा, किसानों को ऋण व अकाल राहत जैसे विशेष मुद्दों की जिम्मेदारियां भी उठानी पड़ती थी। जिला कलेक्टर को पुलिस अधीक्षक, जेलों के महानिरीक्षक व चीफ इंजीनियर प्रत्येक गतिविधि की सूचना भी देते थे।

19वीं शताब्दी के अंत तक कोई भी मूल निवासी जिला कलेक्टर बनने के लिए योग्य नहीं था लेकिन भारतीय सिविल सेवा के लिए खुली प्रतियोगिताओं की शुरुआत के साथ मूल निवासियों के लिए इसका कार्यालय खोल दिया गया। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद यह जिला प्रशासन की सूची में बना रहा। न्यायिक शक्तियों में कुछ परिवर्तन होने के बाद भी जिला कलेक्टर की भूमिका में काफी हद तक अपवर्तन रहे।


जिलाधीश के कार्य व जिम्मेदारियां-

जिलाधीश के तीन कार्य प्रमुख है। इन तीन कार्योँ के अंतर्गत जिलाधीश को कई जिम्मेदारियों को व्यवस्थित ढंग से चलाना होता है। जिलाधीश के ये तीन कार्य निम्न हैं-

(1) जिला मजिस्ट्रेट के रूप में, (2) जिला कलेक्टर के रूप में, (3) उपायुक्त/जिला आयुक्त के रूप में।

(1) जिला मजिस्ट्रेट के रूप में-

  • पुलिस के समन्वय (Coordinate)।
  • कानून और व्यवस्था (Law and Order) का रखरखाव।
  • बाल श्रम/बंधुआ मजदूरी से संबंधित मामले।
  • कैदियों को पैरोल के आदेश को अधिकृत करना।
  • दंगों या बाहरी आक्रमण के दौरान संकट प्रबंधन।
  • Arms Act. (शस्त्र अधिनियम) के तहत हथियार और गोला-बारूद का लाइसेंस देना।
  • जिले में police stations, prisons and juvenile homes का निरीक्षण करना ।
  • प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, अकाल या महामारी के दौरान आपदा प्रबंधन।
  • आपराधिक प्रक्रिया संहिता की निवारक धारा (preventive section of the Criminal Procedure Code) के तहत मामलों की सुनवाई।

(2) जिला कलेक्टर के रूप में-

  • ❯  राजस्व न्यायालय का संचालन करता है।
  • भूमि अधिग्रहण, उसके मूल्यांकन और भूमि राजस्व के संग्रह के मध्यस्थ।
  • आयकर बकाया का संग्रह, उत्पाद शुल्क, सिंचाई बकाया और इसकी बकाया राशि।
  • संपत्ति के दस्तावेजों का पंजीकरण, बिक्री कार्य, वकीलों की शक्ति, दोषारोपण, शेयर प्रमाणपत्र आदि।
  • निकासी और प्रवासी संपत्ति का संरक्षक।
  • विभिन्न जिला कार्यालयों, उप-प्रभागों और तहसीलों का निरीक्षण किया।
  • SC / ST , OBC और EWC, राष्ट्रीयता, विवाह, निवाश आदि सहित विभिन्न प्रकार के वैधानिक प्रमाण पत्र जारी करना।

(3) उपायुक्त(Deputy Commissioner)/जिला आयुक्त(district commissioner) के रूप में-

  • सभी मामलों पर संभागीय आयुक्त को रिपोर्ट।
  • उचित प्रशासन के लिए विभिन्न स्थानीय निकायों, विभागों और एजेंसियों के साथ समन्वय (Coordination)।

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